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नगरपालिका क्या है, उसके काम और शक्तियां व नगरपालिका के प्रकार, संवैधानिक प्रावधान

स्थानीय शासन(Local Government) को दो भागों में बांटा गया है। 

  1. ग्रामीण क्षेत्रों की देखभाल के लिये ‘पंचायती राज‘ इसको पढ़ने के लिये (पंचायत) पर Clickरें। 
  2. शहरी क्षेत्रों की देख भाल के लिये ‘नगरपालिका‘ की व्यवस्था की गयी है। आज हम नगरीय   स्वशासन(नगरपालिका) के बारे में पढ़ रहे हैं।

जिस तरह पंचायती राज के स्वशासन में 3 श्रेणियां है 

  1. गांव स्तर पर ग्राम पंचायत
  2. ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति
  3. जिला स्तर पर जिला परिषद

उसी तरह नगरपालिका के स्वशासन में 3 श्रेणियां हैं

  1. छोटे शहर(तहसील) के स्तर पर नगर पंचायत होती है
  2. मध्यम(जिला) स्तर पर नगर परिषद होती है
  3. बड़े(राजधानी/मेट्रो) स्तर पर नगर निगम होता है।

प्रथम नगर निगम की स्थापना 1688 में मद्रास  प्रेसीडेंसी में हुई थी और 1726 में बाम्बे और कलकत्ता में शहरी स्थानीय स्वशासन की स्थापना हो गई थी। यानी हम कह सकते हैं कि भारत में शहरी स्थानीय स्वशासन की स्थापना आजादी से पहले हो चुकी थी। 

शहरी स्वशासन के लिये संविधान में स्पष्ट प्रावधान नहीं था लेकिन 74 वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संवैधानिक दर्जा मिला।

74वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 :-

इस संशोधन द्वारा नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा प्राप्त किया गया, राष्ट्रपति की सहमति 20 अप्रैल, 1993 को प्राप्त हुई और 1 जून, 1993 से अधिनियम लागू हुआ।

इसके द्वारा संविधान में एक नया भाग 9क(नगरपालिका) और 12वीं अनुसूची को शामिल किया गया साथ ही अनुच्छेद 243P से 243ZG के उपबंध को भी जोड़ा गया।

जब 74 वां संविधान संशोधन अधिनियम लागू हुआ उस वक्त राज्यों को नगरपालिका को लागू करने के लिये प्रावधान किये गये जो बाध्यकारी व गैर-बाध्यकारी है।

बाध्यकारी प्रावधान- 

त्रि-स्तरीय नगर पालिकाओं की स्थापना,

त्रि-स्तरीय पंचायती राज की स्थापना,

सभी स्तरों पर प्रत्यक्ष चुनाव किया जाना,

न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिए चुनाव लड़ने के लिये,

सीटों का आरक्षण जैसे SC/ST महिलाओं के लिये आरक्षण,

राज्य निर्वाचन आयोग का गठन,

गैर-बाध्यकारी प्रावधान-

पिछड़े वर्गों को आरक्षण,

केन्द्रीय और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों के लिये प्रतिनिधित्व दिया जाना।

नगरपालिका क्या है, उसके काम और शक्तियां व नगरपालिका के प्रकार, संवैधानिक प्रावधान (Work and powers of Municipality in Hindi)
  

नगरपालिका के लिए संवैधानिक प्रावधान क्या है :-

त्रि-स्तरीय नगरपालिका- यह अधिनियम हर राज्य में तीन तरह की नगरपालिकाओं की संरचना का उपबंध करता है नगर पंचायत, नगर परिषद, नगर निगम। 

नगरपालिका की संरचना क्या है - नगरपालिका के तीनों स्तरों पर प्रत्यक्ष चुनाव का होना।

प्रत्येक नगरपालिकाओं को निर्वाचन क्षेत्रों(वार्ड) में बांटा जायेगा। राज्य विधानमंडल नगरपालिका के अध्यक्ष के निर्वाचन का तरीका  प्रदान कर सकता है तथा निम्न व्यक्तियों के प्रतिनिधित्व की भी व्यवस्था करता है-

  1. उस व्यक्ति के लिये नगरपालिका में प्रतिनिधित्व की व्यवस्था करता है जिसे नगरपालिका का विशेष ज्ञान और अनुभव हो, लेकिन उसे नगरपालिका की सभा में वोट डालने का अधिकार नहीं होगा।
  2. लोकसभा या राज्य विधान सभा के सदस्य
  3. राज्य सभा और राज्य विधानपरिषद के सदस्य जो नगरपालिका क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत हों।
  4. समिति के अध्यक्ष(वार्ड समितियों के अतिरिक्त)

वार्ड समिति- ऐसे शहर जिनकी जनसंख्या तीन लाख से ज्यादा है तो वहां वार्ड समिति का गठन होगा। इस वार्ड समिति की संरचना, क्षेत्र और वार्ड समिति के पदों को भरने के संबंध में राज्य विधानमंडल उपबंध बना सकता है। 

पदों का आरक्षण- प्रत्येक नगरपालिका में अनुसूचित जाति और जनजाति के उनकी जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण की व्यवस्था है एवं महिलाओं के लिये भी एक-तिहाई आरक्षण की व्यवस्था की गयी है। महिलाओं का आरक्षण एक-तिहाई से कम नहीं ज्यादा हो सकता है।

नगरपालिका का कार्यकाल कितना होता है :- नगरपालिका का कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित किया गया है। यदि नगरपालिका भंग होती है (राज्य सरकार के द्वारा) तो 6 माह के अन्दर चुनाव कराना होगा। 

यदि नगरपालिका भंग होने से उसके कार्यकाल पूरा होने में 6 माह से कम समय बचा हो तो ऐसी स्थिति में चुनाव कराने की आवश्यकता नहीं है। एवं चुनाव होते हैं तो नयी नगरपालिका केवल बची हुई अवधि के लिये ही कार्य करेगी।

शक्तियां और कार्य- राज्य विधानमंडल नगरपालिकाओं को शक्तियां और अधिकार दे सकता है जिसमें वे स्वयत्त संस्था के के रूप में कार्य करने में सक्षम हो। जैसे- आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के कार्यक्रमों को अमल करना, जिसमें 12 वीं अनुसूची के 18 विषय भी शामिल हैं।

जिला योजना समिति और महानगरीय योजना समिति- जिला स्तर पर पंचायतों एवं नगर पालिकाओं द्वारा तैयार योजना को संगठित करेगी। यानी पंचायतों और नगरपालिकाओं दोनों को संगठित योजना बनाना।

इस योजना के गठन में 4/5 सदस्य जिला पंचायत और नगरपालिका के निर्वाचित सदस्य चुने जायेंगे एवं महानगर के लिये योजना के गठन में 2/3 सदस्य महानगर क्षेत्र में नगरपालिका के निर्वाचित सदस्य चुने जायेंगे।

राज्य निर्वाचन आयोग- निर्वाचन process की देख-रेख, निर्देशन एवं Control और नगरपालिकाओं के सभी चुनावों का प्रबंधन राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किया जायेगा।

नगरपालिकाओं के चुनाव संबंधि सभी मामलों पर राज्य विधानमंडल उपबंध बना सकता है।

राज्य वित आयोग- राज्य वित आयोग पंचायतों की तरह हर 5 साल में गठन किया जायेगा। और यह राज्यपाल को सिफारिशें करेगा। राज्यपाल आयोग द्वारा की गई सिफारिशों और कार्यवाही रिपार्ट को राज्य विधानमंडल के सामने प्रस्तुत करेगा।


नगरपालिका क्या है, उसके काम और शक्तियां व नगरपालिका के प्रकार, संवैधानिक प्रावधान (Work and powers of Municipality in Hindi)

भारत में शहरी शासन के 8 प्रकार हैं-

1. नगर निगम क्या है - यह बड़े शहरों के लिये है जैसे- दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद आदि। नगर निगम में 3 प्राधिकरण(Authority) हैं- परिषद, स्थायी समिति तथा आयुक्त। 

  • परिषद का प्रमुख  मेयर(महापौर) होता है। जो कि निगम का औपचारिक प्रधान होता है। इसका प्रमुख कार्य परिषद की बैठकों की अध्यक्षता करना है।
  • स्थायी समिति परिषद के काम को आसान बनाने के लिये बनायी जाती है जो कि आकार में बड़ी होती है।
  • नगर निगम आयुक्त परिषद और स्थायी समिति द्वारा लिये निर्णयों को लागू करने के लिये जिम्मेदार है। वह नगरपालिका का मुख्य कार्यकारी अधिकारी है। यह राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है जो कि साधारणतः IAS समूह का सदस्य होता है।
2. नगरपालिका क्या है - नगर निगम की तरह यह छोटे शहरों के लिये होती है।

3. अधिसूचित क्षेत्र समिति क्या है - ऐसा कस्बा जो औद्योगीकरण कारण विकसित हो रहा हो लेकिन वह नगरपालिका के गठन की आवश्यक शर्तें पूरी नहीं करता हो तो राज्य सरकार राजपत्र में प्रकाशित कर अधिसूचित कर सकती है, इसे अधिसूचित क्षेत्र समिति के रूप में जाना जाता है।

इसमें केवल वहीं प्रावधान लागू होंगे जो राजपत्र में अधिसूचित हों। इनकी शक्तियां लगभग  नगरपालिका की शक्तियों के समान हैं। अतः न तो यह निर्वाचित इकाई है और न ही संविधिक निकाय है।

4. नगर क्षेत्रीय समिति क्या है - यह छोटे कस्बों में प्रशासन के लिये गठित की जाती है। यह एक उपनगरपालिका आधिकारिक इकाई है।

5. छावनी परिषद क्या है - छावनी क्षेत्र में सिविल जनसंख्या के लिये छावनी परिषद की स्थापना की जाती है। इसे 2006 में छावनी अधिनियम केन्द्र सरकार द्वारा गठित की गयी है। यह केन्द्र सरकार के रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है।

6. नगरीय क्षेत्र(TownShip) क्या है - बड़े सार्वजनिक उद्यमों द्वारा अपने कर्मियों तथा श्रमिकों को नागरिक सुविधाएं देने के लिये। यह उद्यमों के निकट बनी आवासीय कॉलोनियों में रहने वाले अपने कर्मचारियों को सुविधाएं प्रदान करती है।

7. न्यास पत्तन(Trust port) क्या है - इसकी स्थापना बंदरगाह क्षेत्रों जैसे- मुंबई, कोलकाता अन्य के बंदरगाहों की सुरक्षा व व्यवस्था करना, नागरिक सुविधाएं प्रदान करने के के उद्देश्यों के लिये की जाती है।

न्यास पत्तन की स्थापना संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई है।

8. विशेष उद्देश्य एजेंसी क्या है - यह कार्यक्रम पर आधरित है ना कि क्षेत्र पर। इसकी स्थापना नगरपालिका में ही किसी विशेष उद्देश्य के लिये की जाती है लेकिन यह स्वतंत्र रूप से काम करती हैं जैसे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, आवासीय बार्ड की स्थापना। 

नगरपालिका से सम्बंधित जानकारी (FAQs) :

Q. भारत की नगरपालिका कौन सी है ?
A. भारत प्रथम नगर निगम की स्थापना 1688 में मद्रास  प्रेसीडेंसी में हुई थी और 1726 में बाम्बे और कलकत्ता में शहरी स्थानीय स्वशासन की स्थापना हो गई थी।

Q. संविधान में कौन सा भाग नगरपालिका से संबंधित है?

A. संविधान में नगरपालिका से संबंधित भाग 9 A है


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