गुस्सा - गुस्से(anger) को मानवीय भावना(Human spirit) के रूप् में जाना जाता है जैसे :- आदमी को चिड़चिड़ापन(Irritability) होना, ठेस(hurt) पहूंचना, कुछ चीजों से झुंझलाहट(annoyance) होना तो ऐसे में आदमी के मन में नकरात्मक भाव(feelings) पनपने लगते है
जिससे आदमी के body का expression बदलने लगता है। यदि गुस्से(anger) को जल्दी Control नहीं किया तो ये आदमी पर हावी(Dominance) हो जाता है जिसके चलते आदमी को काफी नुकसान उठाना पड़ जाता है।
इंसान को गुस्सा कब आता है ?:- जब कोई Action होता है तो हम उसको Reaction करते है यानी यदि कोई हमें कुछ कहता है तो हम उसको जवाब देते है, जैसे उसने गाली दी तो मैने भी उसे गाली दी।
यदि हम इस action- reaction की जानवर से तुलना करें जैसे यदि हम किसी जानवर को touch करते है तो वह भी react करेगा जोकि आदमी और जानवर का intellect बराबर लगता है
जबकि हमारा intellect जानवरों से बहुत ज्यादा है इसलिए जब भी Reaction करें तो हमें उसमें Control/ इख्तिययार/ खैर/Choice/warrant/ अनुमति आदि शब्दों को ध्यान में रखकर या साथ मैं add करके Reaction करना चाहिए।
वैसे इन शब्दों को ध्यान में रखते हुए हम करते भी है जैसे यदि boss कुछ कहे तो हमारा reaction अलग होता है और अपने से कमजोर कुछ कहे तो reaction अलग होता है।
छोटी छोटी बातों पर गुस्सा क्यों आता है ?:- गुस्सा thoughts पर निर्भर करता है जैसे यदि हमारे हाथ 3-4 घण्टे के लिए रस्सी से बांधे और खोल दे तो हमें ऐसा लगता है जैसे हमारे हाथ अभी भी बंधे हुए है।
गुस्सा जब भी आता है उसके पीछे कोई ना कोई खोफ/डर होता है और डर के पीछे हमारी Incapacity(किसी चीज को लेकर कमी होना) होती है।
हम इस Incapacity को छूपाने के लिए गुस्सा करते है जैसे जब हम बच्चों को डांटते है तो इसके पीछे हमें खोफ/ डर होता है कि कहीं ये बच्चे बदतमीज या इनका future खराब ना हो जाये।
ऐसे ही जब हम किसी और पर गुस्सा करते है तो हमारे अन्दर खोफ होता है कि कहीं हमारी बेज्जती ना हो जाये इस डर के पीछे हमारी कोई ना कोई कमी होती है जिसको हम पूरा ना कर पायें।
इसलिए इस Incapacity को छूपाने के लिए हम दूसरों पर blame लगाते है, गुस्सा करते है जबकि इसका हल होता है अपनी Incapacity को समझना और उसको ठीक करना।
गुस्से को कैसे control करें - गुस्सा एक ऐसी आग है जो सबसे पहले हमारे सुकून(Peace) को छीन लेता है, रिश्तों में नफरत भर देता है, इसमें हम कभी खुशी महसूस नहीं करते है, क्योंकि इसकी सजा किसी दूसरे को नहीं बल्कि हमें खुद मिलती है।
इसलिए हमें इस गुस्से(anger) को mange करना सीख लेना चाहिए जैसे - गुस्से में जल्दी react करने से बचे, कुछ Minutes दिन के हमें शांत जगह में meditation जैसी activity के साथ बिताने चाहिए।।
हमें समझना पड़ेगा कि गुस्से से हमें शारीरिक बीमारियां(Physical ailments) आ सकती है इससे हमारा ही नुकसान है। हमें गुस्सा नहीं आता बल्कि हम गुस्सा करते है यदि हम boss से मिले या boss कुछ कहे तो हमारा रवैया अलग होता है और कोई कमजोर कहे तो रवैया अलग होता है।
विचार करने वाली बात यह है कि हम जो चाहते है वैसा ही होना चाहिए जबकि ऐसा नहीं होता है, क्योंकि जहां हम रहते है वहां और भी रहते हैं और वहां काम भी अलग-अलग होते है,
जो हम चाहते है वैसा नहीं हो सकता इसलिए हम जो चाहते है वैसा ही हमारे अन्दर हो यह तो हमारे अनुसार तय होना चाहिए
यदि हमें Choice के लिए दो Options मिल जाये खुशी और गम तो हम खुशी को चुनेंगे। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो हमें सोचना पड़ेगा कि आखिर इसकी बजह क्या है?
इसकी बजह है हमारा मन(mind) हमारे अनुसार नहीं चल रहा, क्योंकि हमें पता ही नहीं है कि मन(mind) को चलाने का बटन कहां है?
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गुस्सा आने के क्या कारण है ?-
सबसे पहले तो हमें यह जानने की जरूरत है कि गुस्सा(anger) क्यों आ रहा है, इसकी परिस्थितियां(circumstances) क्या हैं?
- चिंता(anxiety):- गुस्से(anger) में चिता(anxiety) आम कारण है चाहे खुद चिंता कर रहे हो या किसी और की। चिंता भी कुछ परिस्थितियों में ज्यादा गुस्सा आने का कारण बनती है।
- Past की घटनाएं:- अक्सर हमें Past की घटनाओं को लेकर anxiety होती है जो गुस्से(anger) का कारण भी बन जाती है।
- नींद पूरी ना लेना:- नींद पूरी ना लेने के कारण दिमाग(mind) और शरीर(body) सही से काम नहीं करता, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं(health problems) भी होती हैं।
- अकेलापन,
- नापसंद लोगों के कारण,
- कुछ घटनाओं से,
- पारिवारिक समस्याओं (family problems)से,
- सहकर्मी के दखल(colleague intervention) के कारण
- ज्यादा समय Screen पर रहना:-यह हमारे मन-मष्तिक(Mind brain) को effect करता हैा
- स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं(Health related problems):- जब हम इन समस्याओं से घिर जाते है तो खुद को फंसा हुआ महसूस करते हैं जिससे कि जल्दी गुस्सा आता है।
- दुख या शोक(Grief):- यह एक सामान्य कारण(Common cause) है। जब हमें कोई कठिनाई(Difficulty), दर्द या नुकसान(loss) होता है तो गुस्सा जल्दी आ जाता है।
इंसान को गुस्सा कब आता है ? :- यदि कोई हमारी छोटी-सी बात ना माने तो हमें गुस्सा आ जाता है जबकि कोई कीड़ा(जैसे सांप) कांट ले तो हम उससे गुस्से की बजाये डरने लगते है,
यहां सोचने वाली बात है जो हमारी जान लेने को तैयार था उस पर गुस्सा नहीं, जबकि किसी ने छोटी सी बात ना मानी तो गुस्सा आ गया।
यानी जो कमजोर है या जिसका हम कुछ बिगाड़ सकते है उस पर गुस्सा करते हैं। इसलिए हम गुस्से को Control कर सकते है।
इसलिए जब भी गुस्सा आये तो शांत दिमाग से गुस्से के Reason को समझना पड़ेगा गुस्से को Control कर किसी भी परिस्थिति को कुछ Minutes में सुलझा सकते है नहीं तो उस परिस्थिति को पूरी जिन्दगी भी अटका सकते है।
इसलिए हम सब कुछ जानते हुए भी भावनाओं(emotions) में बह जाते हैं जबकि हमारे Future पर गुस्से का असर क्या पड़ेगा? इसके बारे में सोचना चाहिए ताकि गुस्से से बचा जा सके और मन को शांति मिले।
हमें गुस्सा क्यों आता है? :- जब हम किसी चीज पर believe करते है या अपने Mind के भीतर(inner) किसी imagine पर seriously believe करते हैं जब कोई इस believe पर कुछ कहे तो हम गुस्सा करते हैं यदि हम Mind के अंदर जो imagine है उसको seriously believe ना करें तो कोई कुछ भी कहे हमें गुस्सा आएगा
इसलिए हम अपने thoughts पर निर्भर(depend) हो गए हैं इससे निकलने के लिए हमें समझना होगा और खुद को बताना पड़ेगा कि मैं सब कुछ हूँ, मैं perfect हूँ !
Literature के अनुसार गुस्से को अप्राकृतिक(Unnatural) माना जाता है क्योंकि यदि हमें Choice मिले जैसे खुशी और दुखी की, प्यार और नफरत की, लड़ाई और शांति की, आदि तों हम खुशी, प्यार, शांति को चुनेंगे तथा जब हम गुस्से में होते है तो हम सुकून में भी नहीं होते,
तो फिर हम गुस्सा क्यों करते है? इसलिए हमें गुस्से के पीछे का डर और इस डर के पीछे Incapacity को समझना पड़ेगा कि हमें गुस्सा क्यों आया?
गुस्से को शांत कैसे करे :- जब हम खुद को गुस्सा करने की अनुमति देते हैं और इसे लगातार करते है तो यह हमारी आदत में आ जायेगा जैसे मान लेते हैं कि किसी को स्मोकिंग की आदत है और वह वादा करता है कि वह दिन में केवल 2 बार सिगरेट पीयेगा।
यदि वह दिन में 2 बार सिगरेट पीता रहेगा तो वह जितने समय तक वह पीयेगा उसकी यह आदत पक्की होती जायेगी, जिससे उसकी यह आदत कभी नहीं छूटेगी।
लेकिन वह यह वादा कर लेता है कि वह 4 दिन सिगरेट नहीं पीयेगा और नहीं पीता है तो इससे उसकी आदत कमजोर होगी। इसलिये किसी भी आदत को खत्म करना है तो इसका एक ही तरीका है कि उसको कर्म में आना ही नहीं देना है।
हमें दूसरों को कंट्रोल करना नहीं है, बल्कि खुद के लिये नियम बनाने है। जैसे सरकार नियम बनाती है, कि इस जगह पर आपके लिये हानिकारक है लेकिन जब आप नहीं मानते हैं तो सरकार प्रतिबंध लगा देती है। इसलिये आप भी नियम बनाओ अपने लिये कि मुझे गुस्सा करना Allow नहीं है।
वैसे भी हम अपनी च्वाइस से गुस्सा करते हैं, क्योंकि हम सबको गुस्सा नहीं करते हैं हम उनको ही गुस्सा करते हैं जिन्हें Allow है।
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