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प्रवर्तन निदेशालय(ED) क्या है और इसके क्या कार्य हैं ? : ED क्या है : फुल फॉर्म : शक्तियां : अधिकार :

Enforcement Directorate in hindi  : हम अक्सर न्यूज़ में, अखबारों में सुनते हैं कि ईडी ने उसको समन भेजा, उससे पूछताछ की, उसको गिरफ्तार किया आदि इसलिए आज हम ED क्या है? और यह कैसे काम करती है? इसके बारे में बात कर रहे हैं :- 

जमीन घोटाले में झारखंड कैडर के आईएएस छवि रंजन को ईडी ने समन के लिये बुलाया और पूछताछ की, जिसके बाद उनको गिरफ्तार कर लिया गया है और उनको कोर्ट में पेश किया जायेगा। 

इसको लेकर कई ठिकानों पर पड़ा था छापा |

नेशनल हेराल्ड case में कांग्रेस पार्टी के सीनियर व राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे हेराल्ड हाउस पहुंचे और ED के अधिकारियों से मिले। 

राज्यसभा में विपक्ष के नेता 80 वर्षीय मल्लिकार्जुन खड़गे प्रमुख नेता होने के नाते ईडी ने यंग इंडियन के ऑफिस पर छापेमारी के दौरान उनकी उपस्थिति की मांग की थी। 

प्रवर्तन निदेशालय (ED)क्या है : (ED क्या है ) : - 

हमे अक्सर मनी लॉन्ड्रिंग और ईडी के बारे में अक्सर सुनने को मिलता है, मनी लॉन्ड्रिंग एक ऐसी गैर कानूनी प्रक्रिया है, 

जिसमें अवैध रूप से अर्जित आय को छिपाया या बदला जाता है, इसमें ऐसे क्रियाकलाप किये जाते हैं जिससे अवैध रूप से अर्जित आय वैध रूप से अर्जित आय प्रतीत होती है, 

जिसके कारण भ्रष्टाचार जैसी गतिविधियां बढ़ती हैं, इसके साथ इससे सरकार के राजस्व पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

ऐसा इसलिये होता है कि इस तरह से अर्जित आय से किसी प्रकार का टैक्स नहीं चुकाया जाता है। 

इसी को देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग पर कंट्रोल करने के लिये एक संस्था बनाई गयी थी इस संस्था का नाम - ED(प्रवर्तन निदेशालय) है।

और इसे मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिये विभिन्न प्रकार की शक्तियां भी दी गयी, जिसके कारण यह संस्था अक्सर खबरों में बनी रहती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद ईडी और ज्यादा खबरों में आ गयी।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गयी थी इन याचिकाओं में ED को प्राप्त शक्तियों को चुनौती दी गयी थी तथा सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में ED को प्राप्त शक्तियों को बरकरार रखा है।

भारत की स्वतंत्रता के बाद देखा गया है कि भारतीयों द्वारा विदेशों में चल रहे एक्सचेंजों में पैसा लगाया जा रहा है, 

जिसमें कुछ गड़बड़ियों के मामले भी सामने आये, तो ऐसा यह मुददा उठा कि ये जो लेन-देन हो रहे है क्या यह सही दिशा में हो रहे हैं? या उनमें कुछ गड़बड़ियां हैं।

वैसे इस प्रकार के लेन-देन की जांच के लिये भारत में पहले से ही एक कानून ‘विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम‘ नाम से मौजूद था, 

लेकिन फिर भी इसके लिये एक मजबूत संस्था की आवश्यकता की महसूस की गयी, इसी संदर्भ में आर्थिक मामलों के विभाग ने एक यूनिट के प्रस्ताव पर चर्चा शुरू कर दी।

इसी क्रम में 01 मई, 1956 को ईडी की स्थापना ‘आर्थिक कार्य विभाग‘ के नियंत्रण में एक प्रवर्तन इकाई के रूप में की गयी। 

ये इकाई सन 1947 के FERA (Foreign Exchange Regulation Act) के तहत स्थापित की गयी।

फिर साल 1957 में इस इकाई का नाम बदलकर प्रवर्तन निदेशालय(ED) कर दिया गया। शुरूआत में ED भारत सरकार की एक आर्थिक खुफिया एजेंसी के अन्तर्गत काम कर रही थी, 

लेकिन साल 1960 में इसे वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन कर दिया गया।

इस तरह ED एक बहुअनुसंशासनिक संगठन है, जो मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध और विदेशी मुद्रा कानूनों की जांच के लिये बनायी गयी है। 

जो भारत सरकार की एक "आर्थिक खुफिया एजेंसी" की तरह काम करती है।

भारत में आर्थिक कानून व आर्थिक अपराध से लड़ने की जिम्मेदारी ED(ईडी) को दी गई। 

ED का गठन कब हुआ ? :- जब हम आजाद हुए उस वक्त भारत के पास विदेशी धन बहुत कम था एवं जो विदेशी धन है उसका प्रयोग सही से करने के लिए (यानी सरकार की नजर रहे कि पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है) FERA- Foreign Exchange Regulation Act, 1947 लाया गया 

ताकि विदेशी मुद्रा का रेगुलेशन सही से हो और उसी के लिए 1 मई, 1956 में एक Enforcement Unit(इंफोर्समेंट यूनिट) बनाई गई, जिसे 1957 में ED(ईडी) नाम दिया गया।


प्रवर्तन निदेशालय(ED) क्या है और इसके क्या कार्य हैं ? : ED क्या है : फुल फॉर्म : शक्तियां : अधिकार :  Enforcement Directorate in hindi

ED द्वारा निम्नलिखित कानूनों को लागू (Enforce) किया जाता है :- 

FEMA- Foreign Exchange Management Act, 1999 क्या है :- जिसका मकसद है भारत में विदेशी मुद्रा को रेगुलेट करने वाले कानूनों को मजबूती देना, बाहरी व्यापार और भुगतान को आसान बनाना तथा विदेशी मुद्रा बाजार का विकास करना| यह एक Civil Law(सिविल लॉ) है इसलिए FEMA के मामले सिविल कोर्ट में जाते हैं।

PMLA- Prevention Of Money Laundering Act, 2002 क्या है :- इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य Money Laundering को रोकने तथा इससे प्राप्त संपत्ति को जब्ती के प्रावधान के प्रावधान से संबंधित है।

यह अधिनियम जुलाई, 2005 से प्रभावी हुआ यानी यदि कोई व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग करता है तो उस पर कैसे कार्यवाही करें, कैसे उसकी संपत्ति को जब्त करें उसका प्रावधान इसमें किया गया है। 

यह एक Criminal Law है इसलिए PMLA के मामले क्रिमिनल कोर्ट में जाते हैं इस कोर्ट के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में की जा सकती है | 

अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम(PMLA), 2002 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। 
और कहा अपराधी की बेगुनाही के सिद्धांत को एक मानव अधिकार के रूप में माना जाता है, लेकिन इस अवधारणा को विधायिका द्वारा बनाए गए कानून द्वारा बाधित किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का dicision -

प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ECIR) की तुलना प्राथमिकी से नहीं की जा सकती।

ECIR ईडी का एक आंतरिक दस्तावेज़ है और यह तथ्य कि अनुसूचित अपराध के संबंध में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है, ईडी अधिकारियों के जाँच शुरू करने के मामले में दखल नहीं करता है। 

भगोड़ा आर्थिक अपराधी एक्ट 2018 :-  इस अधिनियम द्वारा अपराधी की संपत्ति को ज़ब्त करने का अधिकार ईडी को प्रदान किए गए हैं,  जिस अपराधी के खिलाफ भारत के किसी भी न्यायलय से वारंट जारी किया जा चुका हो।

भगोड़ा अपराधी उसे घोषित किया जा सकता है जिसने 100 करोड़ से ज्यादा धन से संबंधित अपराध किया हो और देश छोड़ दिया हो तथा मुकदमे का सामना करने के लिए देश आने से इंकार कर दिया हो।

इसके अलावा ईडी के पास COFE POSA मतलब विदेशी मुद्रा और तस्करी निवारण अधिनियम के प्रावधानों को Enforce करने की शक्ति प्राप्त है, 

ED(ईडी) अपने कार्यक्षेत्र के दौरान ईडी से संबंधित केस के मामले में सर्वेक्षण, गिरफ्तारी, जुर्माना, जब्ती जैसी कार्यवाही के लिए स्वतंत्र है।

FEMA के तहत ईडी को यह अधिकार दिया गया है कि मनी लॉन्ड्रिंग से धनराशि का  3 गुना तक जुर्माना लगा सकता है।

हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग क्या है:-  पैसों को दुनिया में एक जगह से दूसरी जगह अवैध रूप से (बिना वास्तविक मुद्रा के परिचालन के) पहुंचाना हवाला कारोबार कहलाता है यानी यह काम अवैध एजेंट के द्वारा किया जाता है 

जैसे यदि आपको दुबई से ₹10000 भारत भेजने हैं तो एजेंट इस पैसे को कुछ पैसे लेकर अवैध रूप से भारत पहुंचा देगा। 

हवाला कारोबार में मुद्रा का वास्तविक transfer नहीं होता है यानी यह पैसा एजेंट के पास ही रखा जाता है जिससे सरकारी एजेंसियों को इस बात का पता लगाने में चुनौती का सामना करना पड़ता है कि पैसा कहां से आया और किसके पास गया।

मनी लॉन्ड्रिंग वास्तव में हवाला जैसे कारोबार में प्रयोग हुए धन को व्हाइट मनी में बदलने का एक माध्यम है जो फर्जी कंपनियों(Shell कंपनियों) के माध्यम से FDI जैसे माध्यमों से काले धन को व्हाइट धन में बदलने का प्रयास किया जाता है।

यह फर्जी कंपनियां पूर्ण रूप से गैर कानूनी होती है जो हवाला कारोबार में मदद करती हैं।

ED का मुख्यालय कहां है :-  ईडी का मुख्यालय नई दिल्ली में है तथा इसके 5 क्षेत्रीय कार्यालय हैं:-

  • मुंबई,
  • कोलकाता,
  • चंडीगढ़,
  • चेन्नई,
  • दिल्ली

इनके हेड Special Directors of Enforcement(स्पेशल डायरेक्टर ऑफ इंफोर्समेंट) होते हैं।

ED(ईडी) के Zonal Offices कितने हैं :- ED  Zonal Offices 10 हैं - जो 

  • मुंबई,
  • दिल्ली, 
  • चेन्नई, 
  • कोलकाता, 
  • अहमदाबाद, 
  • कोचीन,
  • बेंगलुरु, 
  • चंडीगढ़,
  • लखनऊ,
  • हैदराबाद है 

इनके हेड Deputy Director होते हैं तथा ED  के 11 Sub-Zonal Offices भी हैं- जो 

  • जयपुर,
  • जालंधर,
  • श्रीनगर,
  • बनारसी,
  • इंदौर,
  • नागपुर,
  • कालीकट,
  • गुवाहाटी,
  • भुवनेश्वर,
  • पटना,
  • मदुरई है 

जिनके हेड Assistant Directors होते हैं|


प्रवर्तन निदेशालय(ED) क्या है और इसके क्या कार्य हैं ? : ED क्या है : फुल फॉर्म : शक्तियां : अधिकार :  Enforcement Directorate in hindi


ईडी से शिकायत कैसे करें :-  Foreign Exchange और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित Complaint ईडी के Address पर भेजी जा सकती है।

यदि कोई FERA या PMLA के उल्लंघन से संबंधित रिपोर्ट लिखाना चाहता है तो उसे अपनी Complaint Police में या किसी और एजेंसी में लिखवानी होती है जिसके बाद ईडी उस मामले का Investigation करती है

तथा ईडी को अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिये कुछ Organizations की भी मदद लेनी पड़ती है और समय-समय पर उनकी मदद भी करनी होती है 

जैसे FATF(Financial Action task force), मनी लॉन्ड्रिंग Asia-Pacific Group(APG) मनी लॉन्ड्रिंग और Money Laundering & Financing terrorism, Eurasian Group|

ED(ईडी) में बदलाव का कामक्रम- 

  • 1957 में इसको Enforcement Directorate नाम दिया, 
  • 1960 में ED को भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अन्तर्गत लाया गया।
  • 1973 में FERA(Foreign Exchange Regulation Act) आया तथा 1999 में FERA के स्थान पर FEMA आया।
  • फिर 2002 में PMLA(Prevention of Money Laundering Act) लाया गया जिसमें ईडी की Power को और बढ़ाया गया। 
  • तथा फिर 2018 में भगोड़ा आर्थिक अपराधी एक्ट आया इसमें इडी को और Power दी गयीं।

क्या ED एक वैधानिक संस्था है? :- FEMA 1999 की धारा 36 के तहत ईडी को Statutory का दर्जा दिया गया।

ED(ईडी) में ऑफिसर की नियुक्ति कैसे होती है:- इसमें direct भर्ती भी होती है और इसमें deputation पर भी लाये जाते हैं यानी दूसरी एजेंसियों जैसे Customs & Central Excise, Income tax, Police आदि से deputation पर आते हैं।

ईडी के Director की नियुक्ति कौन करता है- कमेटी (जिसमें Central Vigilance Commissioner, Vigilance Commissioners, Home Secretary, Secretary DoPT and Revenue Secretary शामिल होते हैं) की सिफारिश पर केन्द्र सरकार नियुक्ति करती है।

ईडी और सीबीआई में क्या अन्तर है-

वैसे तो दोनों जांच एजेंसियां हैं- 

लेकिन ईडी भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अन्तर्गत एक वित्तीय जांच एजेंसी है जो फोरेन एक्सचेंज व मनी लॉन्ड्रिंग आदि से संबंधित जांच करती है।

सीबीआई भारत सरकार के कार्मिक, पेंशन तथा लोक शिकायत मंत्रालय के कार्मिक विभाग के अधीक्षण में कार्य करता है यह केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी आदि के मामलों की जांच करता है।

प्रवर्तन निदेशालय(ED) के वर्तमान प्रमुख कौन हैं :- प्रवर्तन निदेशालय(ED) के प्रमुख संजय कुमार मिश्रा हैं जिनका कार्यकाल 18 नवम्बर, 2022 तक बढ़ा दिया है| 

संजय कुमार मिश्रा को पहली बार 19 नवंबर 2018 को एक आदेश द्वारा 2 साल  के लिए ईडी निदेशक नियुक्त किया गया था। 

बाद में 13 नवंबर, 2020 के एक आदेश द्वारा नियुक्ति पत्र को केंद्र सरकार द्वारा पूर्व प्रभाव से संशोधित किया गया और दो साल के उनके कार्यकाल को तीन साल के कार्यकाल में बदल दिया गया।

गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा समय-समय पर मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिये कानून बनाये गये हैं और इस प्रकार की गतिविधियों में शामिल लोगों पर नकेल कसने के लिये भी प्रावधान किये गये हैं।

भारत सरकार द्वारा बनाये गये इन्हीं कानूनों से ईडी को शक्तियां प्राप्त होती है। जैसे-

FERA :- इस एक्ट का मुख्य कारण विदेश भुगतान पर नियंत्रण लगाना था, साथ पूंजी बाजार में काले धन पर नजर रखना, साथ ही मुद्रा के आयात-निर्यात पर भी नजर रखना। 

इसी तरह FERA कानून को विदेश मुद्रा पर नियंत्रण लगाने व विदेशी मुद्रा का सदपयोग करने के लिये बनाया गया था, 

लेकिन वर्तमान में ये कानून लागू नहीं है तथा फेरा के तहत 31 मई, 2002 तक जारी कारण बताओ नोटिस के उल्लंघन पर ED कार्रवाई कर सकती है।

आगे चलकर भारत में आर्थिक सुधार और उदारीकरण की नीति अपनाई गयी जिसके बाद सरकार द्वारा उदार रूख अपनाते हुए साल 1999 में FERA की जगह FEMA अधिनियम लाया गया।

FEMA कानून का उददेश्य विदेश व्यापार और भुगतान की सुविधा से संबंधित कानूनों को एकीकृत और संशोधित करना था, इसके साथ ही भारत में विदेशी मुद्रा बाजार का व्यवस्थित विकास को बढ़ावा देना भी इसका प्रमुख उददेश्य है।

वैसे FEMA की शुरूआत निवेशकों के लिये अनुकूल वातावरण प्रदान करने हेतु की गयी थी, यही वजह है कि FEMA अर्थ में एक सिविल कानून है और 

इसके उल्लंघन में केवल मौद्रिक दंड या अर्थ दंड का ही प्रावधान है। इसके तहत ईडी उल्लंघन के मामलों में संबंधित व्यक्तियों पर कार्यवाही कर सकती है।

इन दोनों कानूनों के अलावा ईडी को सबसे अधिक शक्तियां यदि किसी कानून से मिलती है तो उसका नाम है PMLA (धनशोधन निवारण अधिनियम)।

इस कानून को साल 2002 में अधिनियमित किया गया था इसके बाद इसमें तीन बार संशोधन किया जा चुका है। 

इस कानून में धन को छुपाना, अधिग्रहण, कब्जा, धन का क्रिमिनल कानून में प्रयोग आदि को शामिल किया गया। इसके अन्तर्गत आरबीआई, सेबी, बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण को लाया गया है।

इस तरह इस अधिनियम के प्रावधान सभी वित्तीय प्रावधानों, बैंकिंगों, म्यूचल फंडों, बीमा कंपनियों और वित्तीय मध्यस्थतों पर लागू होते हैं। 

यह कानून एक तरह का अपराधिक प्रकृति का है। इसके तहत दोषी पाये जाने पर अपराधी के धन को जब्त करने का प्रावधान है और साथ ही ED इस तरह के धन से बनायी गयी सम्पत्ति को कुर्क कर सकती है।

PMLA के तहत ईडी को यह अधिकार दिया गया है कि वह आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। PMLA की धारा 24 के तहत आरोपी को खुद ही अपने आप को निर्दोष साबित करना पड़ता है।

और इसकी अन्य धारा के अनुसार आरोपी द्वारा ईडी को दिये गये बयान ही न्यायालय में सबूत के तौर पर प्रस्तुत किया जा सकता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि PMLA ईडी को कई शक्तियां प्रदान करता है। 

ED वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग से संबंधित एक एजेंसी है जो Foreign Exchange व मनी लॉन्ड्रिंग, आय से अधिक संपत्ति आदि से संबंधित जांच करती है।

PMLA के प्रावधानों पर विवाद :-

इस कानून के तहत ईडी को यह शक्ति दी गयी है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी की पहचान करे और उस पर कार्यवाही करें। 

गौरतलब है कि CrPC यह कहती है कि यदि किसी एजेंसी या पुलिस ने कोई मामला दर्ज किया है तो उस एजेंसी या पुलिस का यह काम है कि वह उस व्यक्ति को गुनाहगार साबित करके दिखाये।

PMLA की धारा 24 कहती है कि जिस व्यक्ति पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस लगा है तो वह व्यक्ति खुद निर्दोष साबित करे।

यह एक्त ईडी को यह अधिकार देती है कि वह किसी भी व्यक्ति को तलब कर सके। साथ ही किसी मामले में किसी व्यक्ति के बयान ले सकती है और उन्हें दर्ज कर सकती है।

गौरतलब है कि ईडी द्वारा लिये गये बयान को न्यायालय में सबूत के तौर पर प्रस्तुत किया जा सकता है।

जबकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को अपने खिलाफ गवाह होने के लिये बाध्य नहीं किया जायेगा और सामान्य नियमों में भी पुलिस को दिया गया बयान भी न्यायालय में सबूत के तौर पर प्रस्तुत नहीं होता है।

ईडी जब कोई मामला दर्ज करती है तो उसे FIR नहीं कहते हैं बल्कि उसे ECIR कहते हैं। ईडी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करते वक्त उसे ECIR की कॉपी उपलब्ध नहीं कराती है, 

जिसके कारण वह व्यक्ति यह जान नहीं पाता कि उसके खिलाफ क्या आरोप लगे हैं या उसे किस मामले में गिरफ्तार किया जा रहा है।

जबकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-22 व अन्य कानूनों में कुछ अपवादों के साथ यह कहा गया है कि व्यक्ति को बिना कारण बताये गिरफ्तार नहीं किया जायेगा।

इसलिये आलोचकों द्वारा PMLA के प्रावधानों की आलोचना की जाती है और उनका कहना है कि इस कानून के कई प्रावधान गैर-संवैधानिक है व मूल अधिकारों का उल्लंघन करते है।

इस संबंध में आलोचकों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गयी थी  और कहा था कि इसक विवादित प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट गैर संवैधानिक घोषित करें। और ईडी की शक्तियों को भी कम करें।

लेकिन कोर्ट ने इन याचिकाओं की सुनवाई करते हुए ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा और सुप्रीम कोर्ट ने कहा की मनी लॉन्डिंग कोई साधारण अपराध नहीं है, तथा इससे निपटने के लिये कठोरता जरूरी हैं। 

यह अर्थव्यवस्था के साथ-साथ समाज को भी प्रभावित करता है और यह गंभीर अपराधों को भी बढ़ावा देता है जैसे आतंकवाद, भ्रष्टाचार, नशीली पदार्थां का कारोबार आदि इसलिये सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएल एक्ट के प्रावधानों को नैतिक करार दिया है।

आगे की राह- 

मनी लॉन्ड्रिंग एक गंभीर अपराध है और इसे रोकने के लिये कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है क्येंकि ईडी को PMLA के तहत अधिकार व शक्तियां दी गयी हैं। जो कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों से निपटने के लिये सक्षम बनाती हैं।

ईडी को सिविल कोर्ट के समान शक्तियां प्रदान है। ईडी को प्रबल शक्तियां प्राप्त होने के कारण इसके दुरूपयोग होने की भी संभावना बढ़ जाती है।

तथा इसे राजनीतिक विरोधियों के विरूद्व हथियार के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि इस तरह के आरोप सरकार पर लगते रहे है। 

देश के विपक्षी दल लगातार सरकार पर आरोप लगा रहे है कि सरकार ईडी का प्रयोग राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है। इसलिये सरकार को ऐसे आरोपों से बचने के लिये ईडी का उपयोग यथोचित रूप से ही करे।

यदि PMLA का प्रयोग विरोधियों के खिलाफ एक हथियार के रूप में किया जायेगा तो यह जाहिर तौर पर अपनी प्रासंगिकता खो देगा इसके साथ इस बात का भी ख्याल रखा जाता है कि नागरिकों के मूल अधिकार सुनिश्चित रहें।

ईडी का पूरा नाम क्या है ?(ED Full form in hindi) -  ईडी का पूरा नाम Enforcement Directorate(प्रवर्तन निदेशालय) है, ED अवैध सम्पत्ति की जांच करता है आय से अधिक सम्पत्ति का मामला हो या कोई घोटाला होता है तो इसकी जांच ईडी ही करती है इसलिये ईडी चर्चा में रहती है।

प्रवर्तन निदेशालय(ED) का पता :-

ED Head Office Address :-

Joint Director (Admn), Enforcement Directorate
Pravartan Bhawan,   APJ Abdul Kalam Road,  New Delhi – 110 011

Phone: 2333 9124

ED के कुछ महत्वपूर्ण Cases :-

  • PMC Bank Case,
  • Vijay Mallya Bank Loan Default,
  • Saradha Chit Fund Scam,
  • Lalit Modi and IPL Money-Laundering Cases आदि 


ED के बारे में जानकारी(FAQs) (People also ask ) :-

Q. ED का फुल फॉर्म क्या है 

A. ED का फुल फॉर्म है Enforcement Directorate(प्रवर्तन निदेशालय)

Q. प्रवर्तन निदेशालय(ED) का इतिहास 

A. हमे अक्सर मनी लॉन्ड्रिंग और ईडी के बारे में अक्सर सुनने को मिलता है, मनी लॉन्ड्रिंग एक ऐसी गैर कानूनी प्रक्रिया है, 

जिसमें अवैध रूप से अर्जित आय को छिपाया या बदला जाता है, इसमें ऐसे क्रियाकलाप किये जाते हैं जिससे अवैध रूप से अर्जित आय वैध रूप से अर्जित आय प्रतीत होती है, 

जिसके कारण भ्रष्टाचार जैसी गतिविधियां बढ़ती हैं, इसके साथ इससे सरकार के राजस्व पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

ऐसा इसलिये होता है कि इस तरह से अर्जित आय से किसी प्रकार का टैक्स नहीं चुकाया जाता है। 

इसी को देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग पर कंट्रोल करने के लिये एक संस्था बनाई गयी थी इस संस्था का नाम - ED(प्रवर्तन निदेशालय) है।

Q. प्रवर्तन निदेशालय(ED) के अध्यक्ष कौन है ? 

A. प्रवर्तन निदेशालय(ED) के प्रमुख संजय कुमार मिश्रा हैं जिनका कार्यकाल 18 नवम्बर, 2022 तक बढ़ा दिया है| 

Q. ईडी की स्थापना कब की गई थी 

A. 1 मई, 1956 में एक Enforcement Unit(इंफोर्समेंट यूनिट) बनाई गई, जिसे 1957 में ED(ईडी) नाम दिया गया।

Q. ईडी के उद्देश्य |  

A. इस तरह ED एक बहुअनुसंशासनिक संगठन है, जो मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध और विदेशी मुद्रा कानूनों की जांच के लिये बनायी गयी है। 

जो भारत सरकार की एक "आर्थिक खुफिया एजेंसी" की तरह काम करती है।

भारत में आर्थिक कानून व आर्थिक अपराध से लड़ने की जिम्मेदारी ED(ईडी) को दी गई। 


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ED की Core Values:- 

Aa premier financial investigation agency of the Government of India, the Enforcement Directorate functions in strict compliance with the Constitution and Laws of India, and respects the guidance of all Lawful Authorities. We endeavour to establish and maintain high professional standards and credibility. Essential to these standards is the adherence to our Core Values, as follows:

Integrity is our core requirement, displayed by

  • Soundness of moral principle, honesty and sincerity
  • High standards of personal conduct and character
  • Complete trustworthiness in handling information.

Accountability: We are answerable for outcomes. We

  • Ensure everyone knows what is expected of him or her, how their work will be evaluated, and how success will be measured and determined.
  • Accept responsibility for the consequences of our efforts and actions.

CommitmentCommitment means to us dedication, application, perseverance and a determination to achieve results. It requires us to

  • Apply ourselves to all tasks for which we have responsibility
  • Strive to achieve team and organizational objectives.

Excellence: We aim to excel in all that we do, and seek to

  • Constantly improve work performance by always seeking to upgrade systems and methods, and remove waste and inefficiencies
  • Sharpen our investigative skills, learning from global best practices
  • Support teamwork, communicate better with each other, encourage delegation of tasks, deal strictly with discipline issues.

Impartiality: We aim to

  • Be fair and reasonable in our investigations
  • Pursue and reveal the truth
  • Take decisions without fear or favour
  • Act without malice, prejudice or bias, and not allow the abuse of power.

प्रवर्तन अधिकारी क्या है :- 

SENIOR OFFICERS OF ENFORCEMENT DIRECTORATE;-

Shri Anup Kumar Dubey, IRS Special Director, Head office ( STF, HIU, Intelligence, COFEPOSA, Adjudication )

 Shri Rahul Navin, IRS Special Director, Head office.

Shri Vivek R. Wadekar, IRS, Special Director , Central Region (Delhi Zone –I, Delhi Zone – II , Lucknow Zone, Patna Zone, Ranchi Zone, Allahabad Sub-Zone) 

Shri Subhash Agrawal, IRS, Special Director Eastern Region( Kolkata Zone – I, Kolkata Zone – II, Bhubaneshwar Zone, Guwahati Zone – I, Guwahati Zone – II, Gangtok Sub –Zone, Agartala Sub – Zone, Aizwal Sub– Zone, Imphal Sub –Zone, Itanagar Sub –Zone, Kohima Sub –Zone, Shillong Sub –Zone) 

Shri S. Ravichandran , IRS Special Director Northern Region (Chandigarh Zone – I , Chandigarh Zone – II , Gurgaon Zone, Jalandhar Zone, Jaipur Zone, Srinagar Zone, Shimla Sub-Zone, Dehradun Sub-Zone and Jammu Sub-Zone). 

Shri Prashant Kumar, IRS Special Director, Southern Region (Chennai Zone – I, Chennai Zone – II, , Bangalore Zone, Kochi Zone, Hyderabad Zone, Madurai Sub-Zone, Mangalore Sub-Zone, Kozhikode Sub-Zone, Vishakhapattinam Sub-Zone ) with additional charge of Western Region (Mumbai Zone – I, Mumbai Zone – II, Ahmedabad Zone, Bhopal Zone, Panaji Zone, Raipur Zone, Nagpur Sub-Zone, Surat Sub-Zone, Indore Sub -Zone) 

Ms. Sonia Narang, IPS Additional Director, Head Office(STF) with additional charge of Patna Zonal Office ,Ranchi Zonal Office and Delhi Zonal Office - I 

Ms. Monika Sharma, IRS Additional Director, Head Office (HIU -1 with additional charge of Systems, Training, Adjudication)

Shri Ranjan Prakash, IRS Joint Director, Head Office (Coordination, CPIO, Investigation, OIU & IC , Rajbhasha) 

Shri Rohit Dwivedi, IRS Joint Director, Head Office ( Establishment , Vigilance with additional charge of Administration, Source, Intelligence) 

Shri Kapil Raj, IRS Joint Director, Head Office (HIU -2)

Shri D. S. B. Kumar Deputy Legal Advisor, Head Office 

Shri Suresh Kumar Batra Deputy Legal Advisor, Head Office

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